जिले के अनेक अशासकीय विद्यालयों को नहीं मिली मान्यता, बगैर मान्यता कैसे विद्यालय होंगे संचालित

    पूरे प्रदेश में छह हजार से अधिक विद्यालय होगें बंद

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    पूरे प्रदेश में छह हजार से अधिक विद्यालय होगें बंद

    पन्ना / मध्य प्रदेश शासन शिक्षा विभाग द्वारा निजी विद्यालयों की मान्यता को लेकर अनेक प्रकार के कड़े नियम बनाये गये है, जिससे प्रदेश में छह हजार से अधिक निजी विद्यालय बंद होगें, क्योकि मान्यता प्राप्त करने की अतिंम तिथि दस फरवरी निकल चुकी है, उक्त आदेश से लाखो छात्र छात्राए भी बंचित होगें, पन्ना जिले में भी बताया जा रहा है, कि आधा दर्जन से अधिक विद्यालय के संचालको को मान्यता नवीन नियमो के तहत नहीं मिली है, क्योकि जिस प्रकार से सरकार द्वारा नये नियम जारी किये गये है, उक्त माप दण्ड के अनुसार अनेक विद्यालयो द्वारा मानक पूरे नहीं किये गये है। तथा जिन विद्यालयों के मान्यता संबंधि आवेदन दिये गये है, उक्त विद्यालयों का शिक्षा विभाग द्वारा निरीक्षण कराया जा रहा है, निरीक्षण करने वाले शिक्षा विभाग के अधिकारी भी बहती गंगा मे हाथ धो रहे है तथा निजी विद्यालयों से कमिया बताकर लिफाफा बटोर रहे है, सूत्रो द्वारा बताया जा रहा है कि, शिक्षा विभाग के जो बीआरसी, बीएसी, निजी विद्यालयों का निरीक्षण करने जाते है, उनके द्वारा संचालको को अनेक प्रकार की कमिया बतलाकर दबाव बनाया जाता है, और फिर मोटे लिफाफा लेकर कमियों को सही कर दिया जाता है। जहां एक ओर निजी विद्यालयो के अभीभावक परेशान है, वहीं दूसरी ओर निरीक्षण करने वालो की चांदी है। जबकी शासकीय विद्यालयों की स्थिती वर्तमान समय मे बहुत ही बदतर है, शासकीय विद्यालयों मे पेयजल, शौचालय, फनीर्चन, खेल मैदान, सहित किसी प्रकार की सुविधाए न होने के बावजूद शिक्षक भी मनमाने ढंग से विद्यालयों में उपसि्ित होते है, अनेक विद्यालयों में छात्रो की संख्या शिक्षको से भी कम है, लेकिन उक्त सरकारी विद्यालयों मे शिक्षक मोटी पगार पा रहे है, तथा मध्यान भोजन एवं अन्य प्रकार की राशि मे भी गोलमाल कर रहें है, मान्यता के मनमाने नियम करने को लेकर निजी विद्यालयों द्वारा शिक्षा मंत्री के नाम ज्ञापन भी दिये गये, लेकिन उसमे भी कोई राहत नहीं मिली है। निजी विद्यालय संचालको का कहना है कि शिक्षा विभाग द्वारा सारे नियम कानून निजी विद्यालयों के लिए ही बनाये गये है। जबकी सबसे अधिक विद्यार्थी निजी विद्यालयों मे ही शिक्षा अध्ययन कर रहे है, क्योकि शासकीय विद्यालय के शिक्षक शिक्षा अध्ययन कराने मे लापरवाही बरत रहें है। इस प्रकार से सरकार द्वारा दोहरे मापदण्ड अपनाये जा रहें है।

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    जिले के अनेक अशासकीय विद्यालयों को नहीं मिली मान्यता, बगैर मान्यता कैसे विद्यालय होंगे संचालित

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