श्री कृष्ण जैसा आचरण युक्त एवं संपूर्ण निर्विकार जीवन बनाएं : ब्रह्माकुमारी 

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    हम सिर्फ झांकियां देखकर ही खुश ना हो बल्कि अपने जीवन में भी झांके, जिन गुणों के कारण आज तक श्री कृष्ण की महिमा है वह गुण हमारे स्वयं के जीवन में धारण करें, व्यक्ति गुणों से ही महान बनता है
    हम सिर्फ झांकियां देखकर ही खुश ना हो बल्कि अपने जीवन में भी झांके, जिन गुणों के कारण आज तक श्री कृष्ण की महिमा है वह गुण हमारे स्वयं के जीवन में धारण करें, व्यक्ति गुणों से ही महान बनता है

    स्टार न्यूज नेटवर्क ब्यूरो , पन्ना/ (www.starnewsnetworks.com) ब्रह्माकुमारी विद्यालय में जन्माष्टमी का पावन पर्व बड़े ही उमंग उत्साह एवं आध्यात्मिक रीति से मनाया गया, बहन जी ने सभी को पर्व की शुभकामना देते हुए कहा की श्री कृष्ण का जीवन एक कुशल साधक और कर्म योगी का जीवन है, श्री कृष्ण का अर्थ है ही आकर्षण करने वाला उन्हें मनमोहन भी कहा जाता है श्री कृष्ण का जीवन आज तक भी हमें प्रेरित करता है इसका मुख्य कारण है श्री कृष्ण के जीवन में समाये हुए दिव्य गुण, श्री कृष्ण को सर्वगुण  संपन्न 16 कला संपूर्ण कहा जाता है उन्होंने कहा कि हम सिर्फ झांकियां देखकर ही खुश ना हो बल्कि अपने जीवन में भी झांके, जिन गुणों के कारण आज तक श्री कृष्ण की महिमा है वह गुण हमारे स्वयं के जीवन में धारण करें, व्यक्ति गुणों से ही महान बनता है उन्होंने कहा कि सच्ची जन्माष्टमी तभी होगी जब हम श्री कृष्ण के समान गुणवान बने।

      श्री कृष्ण जन्माष्टमी की सार्थकता इसी में है कि आज की परिस्थिति  में प्रत्येक मनुष्य अर्जुन बने श्री कृष्ण की विशेषताओं को आत्मसात करें तथा सच्ची-सच्ची गीता का अध्ययन और विवेचन कर उसे जीवन में उतारने का प्रयास करें, महाभारत काल में केवल एक द्रोपती का चीर हरण हुआ था परंतु आज? तो इसका जिम्मेदार कौन इसके बारे में हमें सोचना चाहिए, भगवान श्री कृष्ण ने कहां हे अर्जुन  कोई भी मनुष्य किसी का शत्रु नहीं होता है, मनुष्य के अंदर व्याप्त काम, क्रोध,लोभ,मोह,अहंकार मनुष्य के शत्रु है ,जब इन पर विजय प्राप्त करेंगे तभी हम सुख शांति से रह सकेंगे और एक सुखमय सतयुगी दुनिया  की स्थापना कर सकेंगे।

    भगवान श्री कृष्ण ने कहां हे अर्जुन  कोई भी मनुष्य किसी का शत्रु नहीं होता है, मनुष्य के अंदर व्याप्त काम, क्रोध,लोभ,मोह,अहंकार मनुष्य के शत्रु है ,जब इन पर विजय प्राप्त करेंगे तभी हम सुख शांति से रह सकेंगे और एक सुखमय सतयुगी दुनिया  की स्थापना कर सकेंगे
    भगवान श्री कृष्ण ने कहां हे अर्जुन कोई भी मनुष्य किसी का शत्रु नहीं होता है, मनुष्य के अंदर व्याप्त काम, क्रोध,लोभ,मोह,अहंकार मनुष्य के शत्रु है ,जब इन पर विजय प्राप्त करेंगे तभी हम सुख शांति से रह सकेंगे और एक सुखमय सतयुगी दुनिया की स्थापना कर सकेंगे

      वर्तमान समय ही कलयुग के अंत और सतयुग के आदि का संगम समय है जबकि परमात्मा शिव ब्रह्मा के तन के द्वारा गीता ज्ञान एवं राजयोग की ( ध्यान ) शिक्षा दे रहे हैं जिस  गीता ज्ञान से मनुष्य के अंदर व्याप्त बुराइयों का अंत हो जाता है और मनुष्य सात्विक जीवन जीने लगता है,  तो आइये इस जन्माष्टमी पर मर्यादित एवं पवित्र जीवन बनाने का व्रत लें तभी कहेंगे श्री कृष्ण की सच्ची-सच्ची जन्माष्टमी मनाना। 

     

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