स्वामी विवेकानंद महाविद्यालय मे मनाई गई भगवान विश्वकर्मा जयंती

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    स्वामी विवेकानंद महाविद्यालय मे मनाई गई भगवान विश्वकर्मा जयंती
    स्वामी विवेकानंद महाविद्यालय मे मनाई गई भगवान विश्वकर्मा जयंती

    स्टार न्यूज नेटवर्क ब्यूरो , पन्ना/ (www.starnewsnetworks.com) पन्ना, पन्ना दिनांक 17 सितंबर 2025 को श्रीराम शिक्षा प्रसार एवं ग्रामीण विकास समाज उत्थान समिति द्वारा संचालित स्वामी विवेकानंद आवासीय दिव्यांग संस्थान, स्वामी विवेकानंद महाविद्यालय , स्वामी विवेकानंद पैरामेडिकल कॉलेज , स्वामी विवेकानंद कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी एवं स्वामी विवेकानंद निजी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान के समेकित तत्वाधान में भगवान विश्वकर्मा जयंती का भव्य आयोजन किया गया, जिसमें कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉक्टर प्रमोद श्रीवास्तव एवं विशिष्ट अतिथि  राज नारायण सिंह,  आर के गुप्ता एवं  जयपाल सिंह परमार उपस्थित हुए ,

    कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथि द्वारा मां सरस्वती, भगवान विश्वकर्मा एवं स्वामी विवेकानंद जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं सरस्वती वंदना के साथ दीप प्रज्वलन कर किया गया , तदुपरांत छात्रों द्वारा स्वागत गीत प्रस्तुत किया गया एवं छात्र-छात्राओं ने विश्वकर्मा जयंती के उपलक्ष में गीत व अपने विचार प्रस्तुत किए गए,  आरके गुप्ता  ने विश्वकर्मा जयंती की अवसर पर बधाई देते हुए कहा कि17 से 21 सितंबर 2025 तक आयोजित होने वाला यह उत्सव, भगवान विश्वकर्मा – दिव्य वास्तुकार, कुशल इंजीनियर और कारीगरों, शिल्पकारों, यांत्रिकी और वास्तुकारों के संरक्षक देवता को जयंती के उपलक्ष में बधाई देता हूं 

    विशिष्ट अतिथि जयपाल सिंह परमार  द्वारा बताया गया कि पौराणिक कथाओं की मानें तो ऐसा माना जाता है कि- भगवान विश्वकर्मा ने ही देवताओं के लिए अस्त्र-शस्त्र, महल और रथों का निर्माण किया था। भगवान विश्वकर्मा ने ही भगवान शिव के त्रिशूल के साथ-साथ विष्णु के सुदर्शन चक्र के जैसी अद्भुत संरचनाएं की है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन विधि-विधान से पूजा करने से जीवन में धन, समृद्धि और सफलता आती है। यह दिन सभी कारोबारियों के लिए काफी शुभ होता है। इस दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा के बिना वे अपना काम नहीं शुरू करते हैं।

    भगवान विश्वकर्मा ने देवताओं के लिए अस्त्र-शस्त्र, महल और रथों का निर्माण किया था। भगवान शिव के त्रिशूल के साथ-साथ विष्णु के सुदर्शन चक्र के जैसी अद्भुत संरचनाएं की है।

    राज नारायण सिंह  द्वारा बताया गया की हिंदू परंपरा के अनुसार भगवान विश्वकर्मा ने स्वर्गलोक, इंद्रपुरी, द्वारका, पुष्पक विमान और कई दिव्य अस्त्र-शस्त्रों का निर्माण किया। इसलिए उन्हें श्रम, तकनीक और नवाचार का प्रतीक माना जाता है। इस दिन विशेष रूप से कारीगर, इंजीनियर, आर्किटेक्ट, मशीन ऑपरेटर, उद्योगों में कार्यरत श्रमिक और तकनीकी क्षेत्र से जुड़े लोग भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते हैं और अपने औजारों, मशीनों व उपकरणों की विधिवत पूजा करके कार्य में उन्नति और सुरक्षा की प्रार्थना करते हैं। छात्र-छात्राओं को प्रथम द्वितीय एवं तृतीय पुरस्कार स्वरूप मेडल से सम्मानित किया गया एवं मुख्य अतिथि व विशिष्ट अतिथियों का साल एवं श्रीफल से सम्मान किया गया, कार्यक्रम के अंत में प्राचार्य  धीरज कुमार सेन द्वारा आभार व्यक्त  किया गया

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